नागपुरी भाषा और साहित्य का विकास, nagpuri bhasha aur sahitya ka vikas in hindi

नागपुरी भाषा और साहित्य का विकास

छोटानागपुर की एक आदिवासी - भिन्न संस्कृति भी है जिसे नागपुरीनगपुरियासदानीसदरी कहा जाता है । यह संस्कृति आर्य अर्द्ध - आर्य एवं आदिवासी तत्वों के विरल संयोग से निप्पन्न हुई है । 

नागपुरी भाषा और साहित्य का विकास, nagpuri bhasha aur sahitya ka vikas in hindi


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नागपुरी भाषा और साहित्य का विकास nagpuri bhasha aur sahitya ka vikas in hindi

नागपुरी भाषा और साहित्य कर विकास हिन्दी में जानिये

' नागपुरी ' शब्द इसका सम्बन्ध नाग - जाति ( नागवंशी ) से जोड़ता हुआ दीखता है और छोटानागपुर के नागवंशी अपनी उत्पत्ति - कथा को जनमेजय के नागयज्ञ से शुरू करते हैं । दूसरा मत पीटर शान्ति नवरंगी का है । वे ' सदानी ' शब्द के आधार पर सदानी भाषा - संस्कृति को निषादों से उत्पन्न सम्पद् होने का अनुमान करते हैं । डॉ . त्रिदेव के मतानुसार तो यह संस्कृति और भी प्राचीन सिद्ध की जा सकती है । योगेन्द्रनाथ तिवारी इसका सम्बन्ध असुरों से जोड़ते हैं । 


नागपुरी भाषा- कला छोटानागपुर की इसी संस्कृति की अभिशप्त है । जब वह अपने उपास्य के अनुचिन्तन में लीन थी , तभी दुर्वासा की तरह जॉर्ज ग्रियर्सन ने इसे भयानक शाप डे डाला : “ इसकी ( भोजपुरी की ) एक महत्वपूर्ण उपबोली छोटानागपुर की नगपुरिया है । किन्तु वास्तव में ये भोजपुरी की छोटी - छोटी उपबोलियाँ हैं और इनका महत्व कम ही है ।


1. पलामू जिले के शेष भाग में तथा समस्त राँची जिले में भोजपुरी का एक विकृत रूप बोला जाता है । 

2. भोजपुरी की एक और उपशाखा नागपुरिया है जो मिर्जापुर के और दक्खिनी पलामू होकर छोटानागपुर के दो पठारों में से अधिक ऊँचे दक्खिनी पठार पर कब्जा किये हुये हैं । 

वस्तुत : नागपुरी भाषा और साहित्य का एक सर्वथा स्वतन्त्र अस्तित्व है । जिन विद्वानों ने इसे देखा - पहचाना है , वे इसकी स्वतन्त्र सत्ता की घोषणा करते हैं । इस संदर्भ में प्रो . केसरी कुमार का नाम सर्वप्रथम उल्लेखनीय है । उन्होंने बिहार - राष्ट्रभाषा - परिषद् , पटना के एक वार्षिक समारोह में पठित अपने मुद्रित निबन्ध ' नागपुरी भाषा और साहित्य ' में इस सत्य का व्याकरण की दृष्टि उद्घाटन किया है ।


अधिकांश लोगों की धारणा है कि छोटानागपुर में पाश्र्व प्रांत के निवासी कालक्रम से आकर बसते गये और उनकी भाषाएँ आदिवासियों की भाषाओं से मिलजुलकर एक विशिष्ट बोली , नागपुरी में परिणत हो गई । दूसरे शब्दों में नागपुरी बोली भोजपुरी , मगही , छत्तीसगढ़ी , उड़िया , बंगला , कुडुख ( उराँव ) , मुण्डारी आदि के मिश्रण से बनी है। 


किन्तु जो तथ्य उपलब्ध है, उन्हें देखते हुए ऐसा लगता है कि नागपुरी भाषा की उत्पत्ति मूलतः मगही-अपभ्रश के ही किसी विशिष्ट रूप से हुई होगी। जिस तरह मैथिली, मगही, भोजपुरी, बंगला आदि के क्षेत्रों में अपभ्रंश के किंचित् भिन्न रूप प्रचलित थे, वैसे ही छोटानागपुर में उसके किसी विशिष्ट रूप का प्रचलन रहा होगा और उसे बोलनेवाले आर्यजन रहे होंगे। नागवंशियों के प्रथम भूपति, ब्राह्मण-वेषध री पुण्डरीक नाग के पुत्र, फणिमुकुट राय थे। वंशावली के अनुक्रमानुसार उनका समय 64 या 58 ई. ज्ञात होता है। फणिमुकुट राय का लालन-पालन युधिष्ठिर दूबे (मुण्डा राजा के मन्त्री) ने किया था और मुण्डा राजा, मदरा ने उसे अपना उत्तराधिकारी बनाया था।

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