माल पहाड़िया जनजाति इन हिन्दी, Mal Pahadiya janjati in Hindi
माल पहाड़िया जनजाति इन हिन्दी, Mal Pahadiya janjati in Hindi
माल पहाड़िया जनजाति के बारे में जानिये :
माल पहाड़िया मुख्य रूप से संथाल परगना के दुमका , जामताड़ा , गोड्डा , देवघर , पाकुड़ आदि जिलों में निवास करते हैं । माल पहाड़िया मुख्य रूप से खेती , लघु वन पदार्थों का संग्रह , मजदूरी आदि का कार्य करते हैं । ये झूम या कुरवा खेती भी करते हैं ।
माल पहाड़िया अपनी भूमि को चार श्रेणी में बाँटते हैं - सेम , टिकुर , डेम और घर - बाड़ी । ' सेम ' भूमि काफी उपजाऊ होती है । टिकुर ' कम उपजाऊ जमीन है । इन दोनों के बीच की भूमि ' डेम ' भूमि कहलाती है । ' बाड़ी ' भूमि घर से सटे ' किचेन गार्डन ' है , जहाँ सब्जी उगाई जाती है । माल पहाड़िया में गोत्र नहीं पाया जाता है ।
इनके देवता
इनके प्रमुख देवता धरती गोरासी गोसाई हैं , जिन्हें वसुमति गोसाई या वीरू गोसाई ' भी कहते हैं । गाँव ही इनके राजनीतिक संगठन की इकाई होता है , जो गाँव के स्तर पर इनके सामाजिक , धार्मिक और राजनीतिक जीवन को नियंत्रित एवं संचालित करता है । गाँव का मुखिया ' माँझी ' कहलाता है । वही ग्राम पंचायत का प्रधान होता है । उसकी सहायता के लिए ' गोड़ाइत ' और ' दीवान ' होते हैं ।
कुछ क्षेत्र में , खासकर सालवन पहाड़ में एक और अधिकारी होता है , जिसे ' प्रमाणिक ' कहते हैं । वह माँझी के नीचे होता है । सभी पद वंशानुगत होते हैं । इस परंपरागत पंचायत में गाँव के सभी वरीय व्यक्ति सदस्य होते हैं । इस पंचायत में गाँव के झगड़ों का निपटारा और समस्याओं का समाधान किया जाता है । पंचायत का फैसला सभी को मान्य होता है । उनका उल्लंघन और अवहेलना करने वाले को जाति - बहिष्कार की सजा भी दी जाती है ।
इनके बीच ' बिटलाहा ' की प्रथा नहीं है । जुर्माने में दिए गए पैसों का पूजा या ग्राम भोज में उपयोग किया जाता है । अंताम्य झगड़े - विवादों को सुलझाने के लिए कई गाँवों को मिलाकर एक बड़ा संगठन बनाया जाता है , जिसका मुखिया ' सरदार ' कहलाता है । वर्तमान समय में सरकारी पंचायतें काम करने लगी हैं , जिसकी संरचना एवं प्रक्रिया परंपरागत पंचायतों से भिन्न होती है । फिर भी माल पहाड़िया पुरानी पंचायतों का ही सहारा लेते हैं ।
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