झारखंड की लोक चित्रकलाएँ इन हिन्दी, Jharkhand ki lok Chitrakala in Hindi

झारखंड की लोक चित्रकलाएँ इन हिन्दी, Jharkhand ki lok Chitrakala in Hindi

झारखंड की लोक चित्रकलाएँ के बारे में जानिए

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झारखंड की लोक चित्रकलाएँ इन हिन्दी, Jharkhand ki lok Chitrakala in Hindi

चित्रकला मानव के भावों को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है और यह माध्यम झारखंड के जनजीवन में रचा - बसा है । शैलचित्र : झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागाँव स्थित सती पहाड़ ( सत पहाड़ ) की गुफाओं में प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्र झारखंड की लोक चित्रकला के साक्षी हैं । 

यह शहर से 42 कि.मी. दूरी पर इस्को पहाड़ी की कंदराओं में स्थित हैं , जहाँ विशाल पत्थर - चित्र प्राप्त हुए हैं । पहाड़ी गुफा को यहाँ के लोग राजा - रानी कोहबर भी कहते हैं । 

जादोपटिया चित्रशैली : चटाइनुमा परदों , कपड़ों , मोटे कागज , विशेष घास और बाँस की पट्टियों से बने परदे पर जादू भरे , मनमोहक और रंग - बिरंगे चित्र बनाए जाते हैं । यह चित्र शैली संथाली समाज से जुड़ी लोक चित्रकला है , जो इस समाज के रहन - सहन , धार्मिक विश्वास एवं नैतिकता को अभिव्यक्त करती है । 

पूरे संथाल परगना में घर बनाते समय ही कच्चे दीवार पर करनी , खुरपी व अन्य उपकरणों की मदद से मिट्टी को काट - काटकर आकृतियाँ बनाई जाती हैं एवं बाद में उसमें रंग भरे जाते हैं । इन चित्रों में सिर्फ सफेद , नीला , लाल और काले रंग का ही प्रयोग होता है । 

इन चित्रों में बॉर्डर , मछली , मोर , लता , पौधा , फूल , पत्ती सहित ज्यामितिक आकृतियाँ बनाई जाती हैं । कोहबर के चित्र : ये चित्र नव वर - वधु के कमरे की दीवारों पर बनाए जाते हैं । इसमें अनेक वर - कन्या के प्रतीकात्मक चित्र बनाए जाते हैं । कोहबर चित्र - शैली में फूल - पत्तियाँ , पूर्वजों के स्मृति - चिह्न , मोर , सर्प , इंद्रधनुष आदि आकृतियों का चित्रण किया जाता है ।

झारखंड की लोक चित्रकलाएँ इन हिन्दी, Jharkhand ki lok Chitrakala in Hindi

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