नागपुरी और भोजपुरी का पृथक्करण, nagpuri aur bhojpuri bhasha ka prithakkaran
नागपुरी और भोजपुरी भाषा का पृथक्करण
नागपुरी भाषा के व्याकरण की कतिपय विशषताओं को देखकर भोजपुरी आदि भाषाओं से उसकी पृथक्ता को और भी आसानी से समझा जा सकता ऐसी भेदक विशेषताएँ संकेतिक हैं:
नागपुरी और भोजपुरी का पृथक्करण, nagpuri aur bhojpuri bhasha ka prithakkaran
नागपुरी और भोजपुरी का पृथक्करण nagpuri aur bhojpuri bhasha ka prithakkaran |
नागपुरी और भोजपुरी भाषा का पृथक्करण हिन्दी में
नागपुरी भाषा के व्याकरण की कतिपय विशषताओं को देखकर भोजपुरी आदि भाषाओं से उसकी पृथक्ता को और भी आसानी से समझा जा सकता ऐसी भेदक विशेषताएँ संकेतिक हैं:
(क) भोजपुरी एवं नागपुरी का ध्वनिगत अन्तर अत्यन्त प्रखर और स्पष्ट है। उदाहरणार्थ, भोजपुरी पदों के मध्य में आने वाले व्यंजनों के साथ 'अ' ध्वनि का के प्रायः उच्चारण होता है, किन्तु नागपुरी-गद्य में नहीं।
(ख) पश्चिमी हिन्दी- शब्दों के आरम्भ में आनेवाले 'य', 'व' भोजपुरा में 'ए', 'ओ' या 'एह', 'ओह' में, किन्तु नागपुरी में 'ई', 'ऊ', या 'इकर' 'उकर' में परिणत होते हैं।
(ग) नागपुरी में अपिनिहिति का अति प्राबल्य है। भोजपुरी में ऐसा कम ही देखा जाता है। उदाहरणार्थः भोजपुरी नागपुरी - गाँइठ, गेंइठ, भोट पाँति पाँइत.
(घ) नागपुरी में भोजपुरी की तरह लिंग का बन्धन नहीं है। भोजपुरी में कम-से-कम कुछ ऐसे संज्ञापद अवश्य हैं, जो निश्चित रूप से स्त्रीलिंग अथवा पुलिंग माने जाते हैं। जैसे, कउआ, नेउर, लमहा (पुलिंग) तथा चिरई, चील्हि, खेखरी ( गाल) स्त्रीलिंग नागपुरी में स्त्रीलिंग-पुलिंग की ऐसी मान्यता है ही नहीं। यही कारण है कि नागपुरी क्रियाओं एवं विशेषणों पर भोजपुरी की तरह लिंग का प्रभाव नहीं पड़ता।
जैसे- भोजपुरी नागपुरी घर जरि गेल। (पु.) घर जइर गेलक। पोथी जरि मइलि (स्त्री.) पोथी जइर (पोइड) गेलक।
(ङ) भोजपुरी के बहुवचनान्त प्रत्यस (न, न्ह, नि, न्हि आदि) नागपुरी में एकदम नहीं लगते। यहाँ तो 'मन' प्रत्यय जोड़कर काम चला लिया जाता है, जैसे छउवामन, घरमन आदि। पुरुषवाचक सर्वनामों के साथ विकल्प से इन्ह ऐन्ह आदि प्रत्यय लगते हैं, जैसे तोहरिन्ह, हमनैन्ह या हमनैन।
इसी प्रकार, सर्वनाम, सहायक क्रिया, वर्तमानकालिक कृदन्त, अतीतकालिक कृदन्त आदि के रूपों में भी नागपुरी से पर्याप्त भिन्न है। ये भिन्नताएँ इतनी प्रबल हैं कि नागपुरी को भोजपुरी नहीं कहना चाहिए।
4. इसके अतिरिक्त, नागपुरी और भोजपुरी की भौगोलिक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी भिन्न है। इस दृष्टि से नागपुरी-क्षेत्र छत्तीसगढ़ी, मगही, बंगला तथा उड़िया के अधिक निकट है। इन प्रदेशों के सांस्कृतिक प्रभाव भी, कदाचित् इसी कारण, अधि " क स्पष्ट हैं।
5. भोजपुरी और नागपुरी की प्रकृति में भी स्पष्ट अन्तर है। भोजपुर-निवासी युद्धप्रिय हैं, छोटानागपुर के निवासी शान्तिप्रिय, एक में आक्रामकता विशेष है, दूसरे में आत्मरक्षात्मकता। भाषा और साहित्य पर भी इन प्रवृत्तियों के प्रतिफल वर्तमान हैं। भोजपुरी-भाषा को ग्रियर्सन ने ठीक ही 'लाठी की भाषा' कहा है। इस दृष्टि से नागपुरी को 'बाँसुरी की भाषा' कहा जा सकता है। इसमें बंगला की मिठास और भोजपुरी की दृढ़ता दोनों ही हैं।
6. आदिवासियों की भाषा-संस्कृति का नागपुरी पर जितना प्रभाव है, उतना भोजपुरी, मगही आदि पर नहीं। इससे नागपुरी-क्षेत्र के कण-कण में एक दुर्लभ सादगी, स्निग्धता और निष्ठा आ गई हैं। नागपुरी-साहित्य में उनका प्रत्यक्ष दर्शन होता है। यही कोरण है कि नागपुरी गीतों के लय-ताल भोजपुरी, मगही आदि सभी बहनों से सर्वथा भिन्न हो गये हैं।
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