डॉक्टर शंकर अबाजी भिसे इन हिन्दी

डॉक्टर शंकर अबाजी भिसे इन हिन्दी


डॉक्टर शंकर आबाजी भिसे भारत के एक महान वैज्ञानिक एवं किए । उन्हें ' भारत का एडीसन ' के नाम से भी जाना जाता है । । उन्होंने लगभग 40 आविष्कारों पर पेटेंट लिया था । डॉक्टर शंकर अबाजी भिसे का जन्म 29 अप्रैल , 1867 को मुंबई में हुआ था । 

Doctor-Abaji-Bhise-Ke-Bare-Mein-Janiye


बचपन से ही उन्हें विज्ञान से काफी लगाव था । वे समय मिलने पर कुछ - न - कुछ करते रहते थे । केवल 14 साल की आयु में ही उन्होंने अपने घर में ही कोयला गैस बनाने वाले उपकरण का निर्माण किया । 16 साल की आयु में उन्होंने आविष्कार के लिए इंग्लैंड या अमेरिका जाने का फैसला किया । 

1890-95 के दौरान उन्होंने ऑप्टिकल इल्यूजन पर कार्य किया । उन्होंने एक ठोस पदार्थ के दूसरे ठोस पदार्थ में परिवर्तित होने की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया । अल्फ्रेड नामक वैज्ञानिक ने उनके आविष्कार की सराहना की और उन्हें ' गोल्ड मेडल ' से सम्मानित किया गया । मुंबई में उन्होंने एक साइंस क्लब ' की स्थापना की । 

उन्होंने विज्ञान - पत्रिका विविध कला प्रकाश ' का प्रकाशन मराठी भाषा में भी किया । इस पत्रिका के द्वारा वे लोगों को सरल भाषा में विज्ञान के बारे में बताते थे । जब अबाजी भिसे इस पत्रिका का प्रकाशन कर रहे थे , तभी लंदन से प्रकाशित होने वाली पत्रिका में एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । इस प्रतियोगिता का विषय वजन और पैकिंग के लिए एक ऑटोमेटिक मशीन था । 

इस प्रतियोगिता में एक ऐसी मशीन का निर्माण करने की चुनौती थी , जो आटा , चावल के ढेर में से आधा या एक किलो उठाकर खुद से पैक कर ले । अबाजी ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया और इसे जीता । उनके द्वारा डिजाइन की गई मशीन को काफी अच्छा माना गया । इसके बाद से तो उनको अनेक लोग जानने लगे । उन्होंने रसोई के कई उपकरण बनाए । 

उनका सबसे प्रसिद्ध आविष्कार टाइप सी कास्टिंग और कंपोजिंग मशीन थी । उस समय टाइप सी कास्टिंग की गति काफी धीमी होती थी । भिसे द्वारा बनाई गई मशीन के कारण छपाई काफी तेज होने लगी । लंदन के कुछ वैज्ञानिकों ने उन्हें चुनौती दी । अबाजी ने चुनौती को स्वीकार करते हुए एक ऐसी मशीन का निर्माण किया , जिससे अलग - अलग अक्षरों में छपाई हो सकती थी । 

यानी हर मिनट 1200 अलग - अलग अक्षरों में छपाई हो सकती थी । अनेक भारतीयों ने अबाजी भिसे की पहचान बनाने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किए , लेकिन परिणाम आशानुरूप नहीं रहे । इसलिए भारत के एडीसन डॉ . शंकर अबाजी भिसे ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हो पाए । विद्यार्थियों को उनके बारे में अधिक - से - अधिक पढ़ना चाहिए और उनके बारे में जानकारी एकत्र कर उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नागपुरी भाषा और साहित्य का विकास, nagpuri bhasha aur sahitya ka vikas in hindi

माल पहाड़िया जनजाति इन हिन्दी, Mal Pahadiya janjati in Hindi

नागपुरी भाषा का परिचय, Nagpuri Bhasha ka Parichay